Avani Lekhara – अवनी लेखरा, एक ऐसा नाम जो आज भारतीय खेल जगत में गर्व का प्रतीक बन चुका है। वह एक ऐसी युवा पैरालंपियन हैं जिन्होंने अपने संकल्प, साहस और अथक परिश्रम से विश्व मंच पर भारत का नाम रौशन किया है। अवनी ने यह साबित किया है कि शारीरिक अक्षमताएँ केवल एक चुनौती हैं, न कि सफलता की राह में बाधा।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
अवनी लेखरा (Avani Lekhara) का जन्म 8 नवंबर 2001 को जयपुर, राजस्थान में हुआ था। वह एक सामान्य परिवार में पली-बढ़ीं और बचपन से ही खेलों में रुचि रखती थीं। उनके माता-पिता ने उन्हें शिक्षा के साथ-साथ खेलों में भी प्रोत्साहित किया। अवनी का जीवन सामान्य ढंग से चल रहा था, लेकिन 2012 में एक सड़क दुर्घटना ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया। इस दुर्घटना में उनकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई, जिससे उनकी कमर के नीचे का हिस्सा पूरी तरह से लकवाग्रस्त हो गया।
चुनौती से सामना
दुर्घटना के बाद अवनी (Avani Lekhara) के लिए जीवन एक नई चुनौती बन गई थी। वह व्हीलचेयर पर आ गईं, और यह स्थिति किसी के लिए भी मानसिक और शारीरिक रूप से बहुत कठिन होती है। लेकिन अवनी ने हार मानने के बजाय, इस कठिनाई को अपनी ताकत बनाया। उनके परिवार का सहयोग और उनकी खुद की अदम्य इच्छाशक्ति ने उन्हें आगे बढ़ने का साहस दिया।
खेलों में रुचि और आरंभिक संघर्ष
अवनी (Avani Lekhara) ने अपने जीवन को नई दिशा देने के लिए खेलों का सहारा लिया। उन्होंने शूटिंग को अपने करियर के रूप में चुना, जो उनके लिए बिल्कुल नया क्षेत्र था। 2015 में, उन्होंने पहली बार शूटिंग में हाथ आजमाया और यहीं से उनका खेल करियर शुरू हुआ।
शूटिंग एक ऐसा खेल है जिसमें अत्यधिक धैर्य, एकाग्रता और मानसिक संतुलन की आवश्यकता होती है। अवनी ने इन सभी गुणों को अपने अंदर विकसित किया और दिन-रात अभ्यास किया। हालांकि, उनके शुरुआती दिनों में संसाधनों की कमी और शारीरिक चुनौतियों ने उन्हें काफी परेशान किया। लेकिन अवनी ने इन सभी बाधाओं को पार करते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना जारी रखा।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता
अवनी (Avani Lekhara) ने राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया और अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया। 2017 में, उन्होंने दुबई में आयोजित विश्व पैरा शूटिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और वहां से उनका अंतर्राष्ट्रीय करियर शुरू हुआ। इसके बाद, उन्होंने कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया और पदक जीते।
टोक्यो पैरालंपिक 2020: ऐतिहासिक उपलब्धि
अवनी (Avani Lekhara) की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि 2020 टोक्यो पैरालंपिक में आई, जो 2021 में आयोजित हुआ था। उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 वर्ग में गोल्ड मेडल जीता और इसके साथ ही वह पैरालंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं। अवनी की इस उपलब्धि ने उन्हें देशभर में एक प्रेरणा का स्रोत बना दिया।
इसके अलावा, अवनी ने 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन SH1 में कांस्य पदक भी जीता, जिससे वह एक ही पैरालंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय पैरालंपियन बन गईं थी ।
टोक्यो पैरालंपिक 2024:
में भारत को एक स्वर्ण पदक समेत दो पदक दिलाने वाली पैरा शूटर अवनि लेखरा (Avani Lekhara) ने पेरिस पैरालंपिक में भारत को एक और स्वर्ण पदक दिलाया है। उन्होंने दूसरे दिन ही महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 स्पर्धा में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया। इस तरह भारत का पेरिस पैरालंपिक में शानदार आगाज हुआ है। वहीं, इसी स्पर्धा में भारत की मोना अग्रवाल ने कांस्य पदक पर कब्जा जमाया।
अवनि और कोरियाई निशानेबाज में थी टक्कर
अवनि ने टोक्यो पैरालंपिक में 249.6 का स्कोर बना पैरालंपिक रिकॉर्ड बनाया था। इस बार उन्होंने 249.7 का स्कोर बनाया और अपने ही पैरालंपिक रिकॉर्ड को तोड़ दिया । वहीं, मोना ने 228.7 का स्कोर बना तीसरा स्थान हासिल किया। दक्षिण कोरिया की युनरी ली ने 246.8 का स्कोर बनाया और रजत पदक हासिल किया। एक वक्त मोना शीर्ष पर आ गई थीं, लेकिन इसके बाद कोरियाई निशानेबाज ने कुछ राउंड की अच्छी शूटिंग के बाद पहला स्थान हासिल किया। अवनि तीसरे पर लुढ़क गई थीं। हालांकि, उन्होंने जबरदस्त वापसी की। 21 शॉट्स के बाद अवनि और युनरी का स्कोर बराबर हो गया था, लेकिन कोरियाई निशानेबाज शीर्ष पर थीं। 22 शॉट के बाद मोना का सफर तीसरे स्थान पर समाप्त हो गया। 23वां शॉट अवनि ने 9.9 का और युनरी ने 10.7 का लगाया। 24वें और आखिरी शॉट में अवनि ने 10.5 का स्कोर बनाया, जबकि युनरी ने 6.8 का स्कोर बनाया। इस तरह अवनि (Avani Lekhara) ने स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
अवनि ने पैरालंपिक में अब तक दो स्वर्ण समेत तीन पदक जीते
टोक्यो पैरालंपिक में अवनि ने एक स्वर्ण और एक कांस्य समेत दो पदक जीते थे। स्वर्ण उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में जीता था और कांस्य उन्होंने महिलाओं की 50 मीटर राइफल की पी-3 एसएच-1 स्पर्धा में अपने नाम किया था। वह भारत की पहली महिला एथलीट बनी थीं, जिन्होंने एक पैरालंपिक में दो मेडल जीते थे। उनसे पहले जोगिंदर सिंह सोढ़ी इन खेलों के एक ही चरण में कई पदक जीतने वाले पहले भारतीय थे। अवनि पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी भी हैं। उन्होंने भारत का इन खेलों की निशानेबाजी प्रतियोगिता में भी पहला पदक भी जीता था। टोक्यो पैरालंपिक में भी अवनि (Avani Lekhara) ने ही स्वर्ण जीतकर भारत के स्वर्ण पदक का खाता खोला था। टोक्यो पैरालंपिक खेलों में पदक जीतकर वह इन खेलों में पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय महिला बनी थीं।
अवनि पद्मश्री से भी सम्मानित हो चुकीं है
अवनि (Avani Lekhara) पैरालंपिक के अलावा विश्व कप में भी दो स्वर्ण समेत तीन पदक जीत चुकी हैं। उन्होंने 2022 फ्रांस में हुए विश्व कप में महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल एसएच1 स्पर्धा में और 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशंस एसएच1 स्पर्धा में स्वर्ण जीता था। वहीं, 2022 में दक्षिण कोरिया में हुए विश्व कप में महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में रजत पदक अपने नाम किया था। इसके अलावा वह 2022 एशियाई पैरा गेम्स में इसी स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। 2021 में उन्हें खेल रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा वह जीक्यू इंडिया द्वारा 2021 में यंग इंडियन ऑफ द ईयर अवॉर्ड दिया गया था। 2021 मेंही उन्हें अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक कमिटी द्वारा बेस्ट फीमेल डेब्यू अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। 2022 में अवनि पद्मश्री से सम्मानित हो चुकी हैं ।
सम्मान और पुरस्कार
अवनी लेखरा (Avani Lekhara) की इस ऐतिहासिक सफलता के बाद उन्हें देशभर में सम्मानित किया गया। उन्हें 2021 में भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान ‘राजीव गांधी खेल रत्न’ से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, राजस्थान सरकार ने भी उन्हें विभिन्न पुरस्कारों से नवाजा।
प्रेरणा स्रोत
अवनी लेखरा (Avani Lekhara) की कहानी न केवल खिलाड़ियों के लिए बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो जीवन में किसी न किसी चुनौती का सामना कर रहा है। उनकी कहानी बताती है कि चाहे जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, अगर आपके अंदर हौसला और धैर्य है, तो आप किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
भविष्य की योजनाएँ
अवनी (Avani Lekhara) का सफर यहीं समाप्त नहीं होता। वह भविष्य में भी अपने देश का नाम रोशन करने के लिए तैयार हैं। वह न केवल शूटिंग में बल्कि समाज में विकलांग लोगों के प्रति सोच को बदलने के लिए भी काम करना चाहती हैं। उनका उद्देश्य यह है कि लोग शारीरिक अक्षमताओं को एक कमजोरी के रूप में न देखें, बल्कि इसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार करें और इसे अपने जीवन की ताकत बनाएं।
Note : - यह भी देखें........ मिशेल स्टार्क की जीवनी – Mitchell Starc biography in hindi
निष्कर्ष
अवनी लेखरा (Avani Lekhara) का जीवन हमें यह सिखाता है कि असली जीत मानसिकता की होती है, न कि केवल शारीरिक शक्ति की। उन्होंने साबित किया है कि अगर आपका इरादा मजबूत है, तो आप किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं और अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। अवनी की सफलता की कहानी हर भारतीय के लिए गर्व की बात है, और वह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उदाहरण बनी रहेंगी।